प्रेम …
मैं उससे लड़ता हूँ, की थोड़ी सी ख़ामोशी तो हो, तुझे सोच सकूँ किसी नज्म की तरह, और तुझसे कहूँ तू खूबसूरत है शब्दों सी ! अल्लहड़ जैसे हरदम बोलना, …
प्रेम … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
मैं उससे लड़ता हूँ, की थोड़ी सी ख़ामोशी तो हो, तुझे सोच सकूँ किसी नज्म की तरह, और तुझसे कहूँ तू खूबसूरत है शब्दों सी ! अल्लहड़ जैसे हरदम बोलना, …
प्रेम … Read More
स्पंदन मात्र भी नहीं था चेहरों पर, विस्मित ना हुए नयन भी थोड़े भी, बड़ी ही क्षणिक अनुभूति सी थी.. जैसे पथराये से आँखों को छु गयी, एक झलक सहलाती …
आहट सी हुई … Read More