ख्वाबों की भी कोई दुनिया है क्या ?
खामोश जुबाँ से हो जाऊँ अजनबी ; या सब कहके बन जाऊँ मैं गुमशुदा ! मैं अब रोज दुहरा नहीं सकता .. बीती बातों का किस्सा फिर से ! कई …
ख्वाबों की भी कोई दुनिया है क्या ? Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
खामोश जुबाँ से हो जाऊँ अजनबी ; या सब कहके बन जाऊँ मैं गुमशुदा ! मैं अब रोज दुहरा नहीं सकता .. बीती बातों का किस्सा फिर से ! कई …
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किसी रोज की दूसरी बारिश थी, बुँदे इस तरह कांचों से फिसल गये, जैसे धुल गये अवसाद कितने पुराने, लिपटते रहे बूंदें कांचों से कितने भी, रिश्ते कच्चे थे हाथों …
हाथों से फिसल से गये … Read More
जिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …
अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read More
सहूलियत से हर दफा किस्सा छेरते, कभी कशमकश में हाल पूछा होता !किस कदर अब ना कोई हँसता है, बस सवाल की गहराहियों में दफ्न हो, क्या कुछ सोचता है …
कुछ पूछा होता – Sometimes I feel ? Read More
खाई खोद रहा वो इंसान जो कुछ पाना चाहता !आत्मविश्वास जैसे पानी मिल ही जायेगा !लक्ष्य तो मिलेगा ही ! आते जाते लोग कह ही देते, खाई है खाई ..खोद रहे …
कुँआ ….! Read More
Life Like Lust Of Living..Lost In Lunar Landscapes! Love Like Lean Lighthouse..Let Leave As Losel Lineate! Little Lamp of Light..Lack of Lite Luck Lapse! Lot of Lavish in Live or …
Life Lost In Lunar Landscapes! Read More