Hindu Wedding Rituals – Abhinandan Patr

हिंदू विवाह अभिनंदन पत्र वह औपचारिक एवं भावनात्मक पत्र होता है, जिसे विवाह के शुभ अवसर पर वर–वधू या उनके परिवार को बधाई, शुभकामनाएँ और आशीर्वाद देने के लिए लिखा जाता है। यह पत्र प्रायः विवाह मंडप, स्वागत समारोह या स्मृति-चिन्ह के रूप में भेंट किया जाता है।

Download Abhinandan Patr Format in Word-Docx

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

मंगलम् भगवान् विष्णुः, मंगलम् गरुड़ध्वजः।

मंगलम् पुण्डरीकाक्षः, मंगलाय तनो हरिः ॥

 

आयुष्मती: ……………..

सुपौत्री :  ………………

प्रथम सुपुत्री : श्रीमती ……….. एवं श्री ………………

ग्राम : …………………..

संग

आयुष्मान : …………….

सुपौत्र :………………..

ज्येष्ठ सुपुत्र : श्रीमती…………………..

एवं श्री…………………..

ग्राम : …………………

 

  • : दिनांक : ………………. :-
    शुभ विवाहोत्सव पर

परम आदरणीय समधी जी “……………………..” के कर कमलों में सादर समर्पित |

अभिनंदन पत्र

आदरणीय अतिथिगण !

इस मंगलमय वेला में उपस्थित बारात के महानुभावों का हम हार्दिक अभिनंदन करते हैं और परिवार के सदस्य को जिन्होंने अपनी उदारता एवं सहिष्णुता से संबंध का मधुर एवं सरस बनाया।

मान्यवर ।

आज आप महानुभावों के शुभागमन से’ अंग प्रदेश की पवित्र धरती का कण-कण मुस्कुरा हो उठा है। हम फुले नहीं समाते है। आपको अपनों के बीच पाकर जन-जन प्रमुदित तथा चिर प्यासी आँखें दर्शन पाकर आत्मविभोर है। अस्तु हम हृदय से आपका हार्दिक अभिनंदन एवं अभिवादन करते हैं।

परमादरणीय समधी जी !

आपके सद्गुणों से ओतप्रोत हो में कन्या रूपी रत्न आपको आज अर्पण करता हूँ। आपकी शीतल छाया में इस वालिका की सुखद और सौभाग्यपूर्ण जीवन यात्रा सफल हो यही ईश्वर से हमारी शुभ कामना है।

मेरे हृदय के नील गगन का, यह चन्दा सा तारा था।

मैं अबतक जान न पाया, इसपर अधिकार तुम्हारा था।।

लो आज अमानत लो अपनी, करवद्ध निवेदन करता हूँ।

यह ‘Girl Name’ रूपी रत्न तुम्हें, मैं आज समर्पण करता हूँ।।

 

इससे भूल बहुत होगी, यह ‘Girl Name’ अति सुकुमारी है।

इसके अपराध क्षमा करना, निज माँ की राजदुलारी है ।।

मम कुटिया की यह शोमा है, जो वर्वस अर्पण करता हूँ।

यह कन्या रूपी रत्न तुम्हें, में आज समर्पण करता हूँ ।।

 

पिता से आज पुत्री विछुड़ी, माँ से विछुड़ी माँ की ममता ।

बहनों से विछुड़ी ‘Girl Name’ लो तुम हो इसके आज पिता ॥

मैं आज पिता कहलाने का, अधिकार समर्पण करता हूँ।

यह कन्या रूपी रत्न तुम्हें, में आज समर्पण करता हूँ ।।

 

था जिस दिन इसका जन्म हुआ, न गीत बजे न शहनाई।

पर आज विदा के अवसर पर, मेरे घर वजती शहनाई ।।

यह बात समझ कर मन ही मन, में आज प्रफुल्लित होता हूँ।

यह कन्या रूपी रत्न तुम्हें, मैं आज समर्पण करता हूँ ।।

 

‘Girl Name’ जायेगी, सव रोयेगें, छलकेगी नयनों का सागर।

माता-पिता-बहने रोयेंगी, वह जायेगी करूणा का सागर।।

लो आज तुम्हें अपनी प्रिय, ‘Girl Name’ अर्पण करता हूँ।

यह कन्या रूपी रत्न तुम्हें, में आज समर्पण समप करता हूँ ।।

 

|| शुभ विवाह ||

परिणय तिथि : ………………

 

    हम है आपके

………Name of Father…………”

  एवं समस्त परिवार |

 

 

         

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →