बसंत
अल्हड़ हवाओं के बहने से उन्मत मन के होने से ही यूं ही बसंत तो नहीं आयेगा जब तुम संदूक से निकालना सरसों के पीले फूल के रंग सरीखी कोई …
बसंत Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
अल्हड़ हवाओं के बहने से उन्मत मन के होने से ही यूं ही बसंत तो नहीं आयेगा जब तुम संदूक से निकालना सरसों के पीले फूल के रंग सरीखी कोई …
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कभी कभी लिखता हूँ कविता या निरंतर प्रायश्चित के शब्द जब दुनिया के तमाम द्वंदों से थक के मायुस होता हूँ लिखता हूँ झूठी कल्पनाओं को कि किसी भ्रम में …
प्रायश्चित के शब्द Read More
बड़ी संजीदगी से भर देना जैसे कितने आसान से है जिंदगी के हर फलसफे ऐसी तल्लीनता से सुनना तुम्हें यूं प्रतीत होता है कोई दार्शनिक समझा रहा जीवन के गूढ़ …
थोड़ी सी जिंदगी Read More
ईश्वर रचता है प्रकृति बीजों से फूटते कोपल उससे निकलती पंखुड़ियां आसमानों में फिरते हुए बादल और उससे गिरती हुई बूंदें । ईश्वर बनाता है संसार में संघर्ष सपनों संयोग …
ईश्वर और कविता Read More
एक अधर है जिसके पार भी जाया जा सकता या धीरे धीरे दूर भी । कोई जा चुका है या थोड़ा सा रह गया है अब भी मुझमें । एक …
अधर Read More
किसी नास्तिक को जबमिल जाता होगा ईश्वरकैसे पुराने कठोर सेवहम को बिखेरता हुआमन में कैसी संवेदना होगीवैसी अनभूति सी हुईजब बेजार से जहन कोछू गए तुम्हारे शब्दएकाकी से खोये हुएजीवन …
थोड़ी जिंदगी… Read More