
कुछ ठहर गये थे तुम,
कुछ कहते कहते रुक गये !
तुमने शायद रिश्ता पुराना सा,
कुछ ऐसा बोला था धीमे से !
बस हम उम्मीद में है,
बात कब पूरी होगी वो !
ना हम बता पाते कभी भी,
ना जता पाते अपना रिश्ता !
एक दिन सब कह जायेंगे,
तुझसे तो हँस के बात कर लेता !
ऐसे तो कितने शिकन होते है,
चेहरों पर मेरे … !!
#SK