ये शहर कुछ कहता …

voice of city

कभी शहर को कहते सुना है ; बड़े महानगरों में दब जाती है आवाज मोटर गाड़ी और कल कारखानों के शोर में लेकिन अपने शहर को सुनिए मंदिरों की आरती, मस्जिद का अजान, मंगल का कीर्तन, ढोल मजीरे की आवाज, सर्द में सत्संग की आवाज, दूर नदी किनारे बस्ती से शादी के गीत, स्त्रियों के लोकगीत, स्कूल का भाषण, और कुछ छुपी छुपी सी आवाज में अकेलेपन में गुनगुनाता कोई शायर, रात में माँ की लोरी, शाम में पढ़ते बच्चों में कविता की गूंज ! शहर कहता है ; सुनिए कभी इसको !

एक कविता इसी संदर्भ में … “ये शहर कुछ कहता”voice of city

इस शहर के नैपथ्य में कुछ गूँजता है,
शुकुन से सुनों तो ये शहर कुछ कहता है ।

दूर सुबह अजान की दस्तक है होती,
हर शाम आरती की थाल लिए है गाती ।

मंगल की कीर्तन पर झाल मंजीरे बजता,
टोली टोली में स्वर है जब कोई सजता ।

दूर नदी ओर की बस्ती से आती कंठो से बोली,
मेहँदी उघटन पीहर चुनर ये लोकगीत की रंगोली ।

नदी के तीर पर देखो वो क्या है गाता ;
अपने नाव पर मल्लाह जीवन का राग सुनाता ।

सन्तों सन्तों का वचन है होता,
राम गीता जब शहर ये कहता ।

गाँधी सुभाष का गान सब सुनता,
जब शहर आजादी की महिमा कहता ।

नितांत अकेले कोई मन ही मन कुछ गाता,
माँ की लोरी यादों की कहानी ये शहर सबको सुनाता ।

#Sujit

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →