ऊँची लम्बी गाड़ी,
खूब जोर का हॉर्न बजाती,
बगल में आके झटके से ब्रेक लगाती,
दिल धक् से रह जाता उस वृद्ध का,
अंदर गाड़ी से ठहाके की आवाज आती है ….
Related Posts
About Sujit Kumar Lucky
Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज
View all posts by Sujit Kumar Lucky →2 Comments on “गाड़ी – (#MicroPoetry)”
Comments are closed.
बहुत बढ़िया
गाड़ी पर कविता बहुत खूब