प्रेम की अधूरी पड़ी कविता….

Untold Poem of Love

प्रेम के विस्तृत स्वरुप को कविता की शक्ल देना कितना मुश्किल है, प्रेम की अभिव्यक्ति जितनी भी शब्दों में की जाए वो अधूरी सी छुट जाती ; तो प्रेम को कवि कविता के रूप में प्रेषित क्यों नहीं कर पाता ……

Untold Poem of Loveप्रेम संवाद सा था जब फासले कम थे,
अब फासलों पर ये मौन अभिव्यक्ति है,
अवर्णनीय है ये प्रखर तब था या अब है ?
यथोचित नहीं की इसका शोर हो !

कुछ कविताओं में कोशिश की इसे,
तुम तक पहुँचाया जा सके
इतना सहज तो नहीं था प्रेम को समेट पाना,
बीच में ख़ामोशी के पल वाले शब्द रुक जाते थे,
और वो अधूरी छोड़ जाती थी पंक्तियाँ,
तो तुम्हारी हँसी वाली शब्द इतनी बड़बोली,
मिसरे को तोड़ कर आगे दौड़ जाती,
कभी मैं रुक कर जब कुछ सोचता था,
वो यादें तितलियों सी सामने से उड़ जाती !

प्रेम की इस अधूरी पड़ी कविता में,
कुछ बेवक्त के पूर्णविराम है लगे,
कुछ रिक्त स्थान भी है छुटे पड़े,
कुछ को बोझिल बातों से भरा गया है,
वर्तनी मात्रा सब बेबस से है,
इस प्रेम की अभिव्यक्ति में !

#Sujit Kumar

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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