उजाड़…

उजाड़ दिन , जैसे कुछ किताबें इधर उधर हो बिस्तर पर , कपड़े मुड़े सिमटे फेंकें हुए , क्या कहाँ किस ओर क्या पता , घण्टों खोजो तो न मिलता …

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