जब सर्द की रातें है आती !

आहिस्ता आहिस्ता आगोश में आती , थोरी कपकपाती हाथों को सहलाती , ठिठुरती सिहरती ये बातें कह जाती , जब उनकी हँसी मन ही मन गुदगुदाती , ओस की बूँदें …

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