उलझा दिया आज फिर सवालों ने !

परतों में रखा था छुपा के हमने खमोशी !खोल दी जो थोरी सी हवा उठी किसी ओर से ! थोरी दूर जा के अहसास सा होने लगा !अब कोई लौटने …

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