किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ?

यहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …

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