इस शाम में उदासियाँ लपेट मैं ….
इस शाम में उदासियाँ लपेट मैं चुपचाप यूँ ही कहीं .. खामोशियों से लड़ते हुए, थककर बहुत ऊब कर बैठा हूँ … नदी के किनारे कुछ दुर से, बलुवा जमीन …
इस शाम में उदासियाँ लपेट मैं …. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
इस शाम में उदासियाँ लपेट मैं चुपचाप यूँ ही कहीं .. खामोशियों से लड़ते हुए, थककर बहुत ऊब कर बैठा हूँ … नदी के किनारे कुछ दुर से, बलुवा जमीन …
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