आज  फिर सदियों  के बाद वही पुरानी आहट सी  थी !

आज फिर सदियों के बाद वही पुरानी आहट सी थी, जो भुला नहीं हूँ अब भी जेहन में बची एक हसरत सी थी । कुछ दो शब्दों पर तर हो …

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ख्वाबों की भी कोई दुनिया है क्या ?

खामोश जुबाँ से हो जाऊँ अजनबी ; या सब कहके बन जाऊँ मैं गुमशुदा ! मैं अब रोज दुहरा नहीं सकता .. बीती बातों का किस्सा फिर से ! कई …

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An Autumn Dreams – In Night & Pen With #SK

कल की दबी बिसरी झुंझलाहट; सुबह भी जारी थी सीढ़ियों से उतरते, घुमावदार बोझ सी लगती, ये चडाव और उतार सीढ़ियों की !झुंझलाहट उतार भी दे किसपर; उसपर जो अनसुना …

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ठहर जाने का सबब !

कहते कहते ठहर जाने का सबब,फिर वही बातें, वही रातें ! चाँद सी सादगी दिखती ऐसी,फिर वही अजनबीपन छाया ..शब्द घुटते रहे, करते रहे अदब ! थे बेबाक अनेकों वहाँ …

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क्या गुनाह है .. ?

है रात मुफलिसी की,ताक पर लगा नींदों को,और लगा चैन के हर कोने,चाहत सुबहों पर लगाना ! क्या गुनाह है .. ? माना नसीबों पर नहीं इख्तियार,और उम्मीदों के कितने …

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एक उड़ान – Dead Dream in Sky

एक पंछी उड़ता हुआ खुले आसमां में,क्या सपने उसके क्या मन में उसके,सहसा इच्छाओं का इर्धन खत्म सा हो गया ! बिना उर्जा के सीधा गिरता कटीले पथरीले झारियों में,बिखर …

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