कब तक यूँ रहता यहाँ ऐसा ही !!

बिखरा बिखरा सा कुछ दिनों से, बड़ी मुश्किलों से मिलता था .. यादों का कुछ टुकड़ा ! कागजों पर लिखी कई नज्में, बिखरे दरख्तों पर दब सी गयी, पुराने पत्तों …

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