खामोशी भी उम्र भर निभायेगें ….

इक जैसे चेहरे कब से, ना भाव भंगिमा कुछ भी, पत्थर की मूरतें हो जैसे, सदियों से वैसे ही अब तक, शिकवे शिकन सजते रहे चेहरों पर, हमें इंसा होने …

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