अलग अलग मंजिलों पर रहता मैं, कभी जिंदगी की तन्हाई तलाशने, ऊपर छत पर एक कमरा है, पुराना रेडियो पुरानी कुर्सी, और धूल लगी हुई कई तस्वीरें, जिंदगी से ऊब कर बैठता जा मैं उस मंजिल पर, कभी तलघर वाली मंजिल पर चला जाता, मकड़ी के जालों में सर घुसा ढूँढता हूँ बचपन की चीजें, […]