महानगर की ओर …
दुरी है या खाई है फर्क मालूम ही नहीं पड़ता ; गिने चुने महानगर तक सिमट कर रह गया है देश ; खबरें वहीँ की वहीँ बनती है वहीँ संवरती …
महानगर की ओर … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
दुरी है या खाई है फर्क मालूम ही नहीं पड़ता ; गिने चुने महानगर तक सिमट कर रह गया है देश ; खबरें वहीँ की वहीँ बनती है वहीँ संवरती …
महानगर की ओर … Read Moreकार्यस्थल भी एक परिवार है ! हम अपने जिंदगी में कितना वक़्त कार्यस्थल पर व्यतीत करते ; मेट्रो शहर में एक ही तो धुन होती सुबह उठ के कार्यस्थल की …
A Thank You Note !! Read More