और तभी सुनामी आती है !
है दंभ अब किन बातों का ! आंखे फाड़े काली रातों का ! विकट जो चुप्पी छाती है, और तभी सुनामी आती है ! बौने से जो अब पेड़ खड़े, …
और तभी सुनामी आती है ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
है दंभ अब किन बातों का ! आंखे फाड़े काली रातों का ! विकट जो चुप्पी छाती है, और तभी सुनामी आती है ! बौने से जो अब पेड़ खड़े, …
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