किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ?

यहाँ जिंदगी से जी नहीं भरता, तुम किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ! उदास शाम में देखों लौटते चेहरों को, सब आगोश है नींदों के ही इन पर छाये …

किस उल्फ्तों में खोये रहते हो ? Read More

रोजमर्रा – In Night & Pen With #SK

मैं किसी पंक्ति में खरा कुछ वार्तालाप सुनता जा रहा था; रोज में सुबह जा भीड़ में खो जाता, पढ़ने की कोशिश करता कुछ देर के वक्त में अनेकों अजनबी …

रोजमर्रा – In Night & Pen With #SK Read More