दीवार के उस पार खड़ा अपना बचपन ! !
रोज का एक आम दिन …. अभी थोरा ही झुका था सूरज उस सामने पेड़ की झुरमुट में , भागे भागे ऐसे जैसे चार पर टिकी घड़ी, अब रुकेगी नही …
दीवार के उस पार खड़ा अपना बचपन ! ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
रोज का एक आम दिन …. अभी थोरा ही झुका था सूरज उस सामने पेड़ की झुरमुट में , भागे भागे ऐसे जैसे चार पर टिकी घड़ी, अब रुकेगी नही …
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