ख़ुदकुशी

suicide hindi poem

एक हतप्रभ करने वाला खबर था, किसी पिता को बुखार में तपते बच्चे को हाथ में लिए बड़े बड़े अस्पताल से लौटा दिया जाता, बच्चे की मौत माँ बाप के जीने की उम्मीदों को तोड़ देती और वो खुदखुशी कर लेते ! ये एक शहर की खबर मात्र बन गुम हो सकती लेकिन मानवता के लिए कलंक, की हम ऊँची ऊँची अट्टालिकाओं और विलासिता की होड़ में कैसी दुनिया बनाना चाहते ?

इसी संदर्भ पर कुछ महसूस हुआ .. एक कविता

ख़ुदकुशी

suicide hindi poemखुद की ख़ुशी जब छीन गयी,
अब कुछ भी इस जहाँ में नहीं था,
तो बस अब क्या करता,
कर ली ख़ुदकुशी !

इबादत भी की हमने,
सजदे में भी झुका,
मिन्नतें भी खूब की,
दुआ और दवा भी,
अब क्या करता मैं,
कर ली ख़ुदकुशी !

भागा भागा में पहुँचा वहाँ,
जो आसरा था मेरा,
सुना था सब कहते थे,
भगवान का दूसरा बसेरा,
उम्मीद भरी नजर से देखा,
आंसुओं को रोक कर देखा,
हाथों में तप रहा था वो मेरे,
मैं भी तो जल ही रहा था,
लौटा दिया गया मैं वहाँ से,
अब क्या करता मैं,
कर ली ख़ुदकुशी !

दम तोड़ चूका था वो,
मेरे आँखों में ही सो गया था वो,
अब फरियाद को लब्ज नहीं,
न ही किसी सिफारिश की जरुरत,
न अब किसी से गुजारिश ही करनी,
हो सके तो किसी को फिर न लौटाना,
जो था बिखर ही गया,
हिम्मत नहीं जुटा सका सहेजने की,
मैं अब क्या करता,
बस कर ली ख़ुदकुशी !

#Sujit

 

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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