इस शाम में …

who talks a lot

इस शाम में कुछ उदासियाँ अब
ढलते सूरज के साथ और चढ़ गयी
बढ़ गयी है भींगे आँखों में नमी
और अँधेरों में खो गयी सुलह के सब रास्ते
बंद किवाड़ की चौखट पर सर पटक कर
ढह गए हौसले सब मनाने के
उसकी जिद जीत जाती हरदम
और ख़ामोशी के खेमें वाले हार ही जाते हर दफा ।

मैं खामोशी के खेमें में गमजदा हूँ
अब जीत कर तुम क्यों मायूस बैठे हो ?
#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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