प्राइम् टाइम में आज .. कहने दो जी कहता रहे .. याहू !! (व्यंग्य)

सर जी १२ -१ बज गया है रात का .. ऊँघा गये होंगे सब प्राएम् टाइम कैसे ! धत बुरबक अभी तो नहा धो के सब फेसबुक ट्विटर पर आये ही होंगे ! यही तो हमारे ऑडिएंस है ; तब आज का दिखायेगें, अर्जेंटीनमा हार गया ; फसाद मचा दिए गुस्सा मैं सब ..चला दे उसका विडियो ! अरे ना रे.. इ कौन सा नया है .. अरे याद नहीं उ जो छो छक्का मारा था, टी ट्वेंटी फाइनल में आउट हो गया था तो सब लोग कैसा बवाल काटे थे ! ये सब चलता ही रहता ! तब आज का दिखायेगें सर जी ! अरे इ वैदिक काल वाला दिखाओ बड़ा क्रन्तिकारी हो रहा देश में !

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वेद वैदिक .. सर जी इस्प्रिचुअल हो रहा ज्यादा; एकदम चपर गंजू रहोगे , कश्मीर कश्मीर ३ से ५ बार बीच में डालो इस्प्रिचुअल को क्रांतिकारी बना दो ! सर जी वैदिक जी चश्मा पहनते है .. वाह हो गया अपना काम आज का ..समझा नहीं सर जी ! बस एड ब्रेक में दिखायेगे आज ही खरीदे च्स्माकार्ट.कॉम से वैदिक चश्मा और देखें क्रांतिकारी नजरों से ! सर जी बवाल हो गया .. अब का हुआ बे .. जेहादी हफीज़ का नाम भी आ रहा ! कश्मीर आजाद करा दो .. काट काट .. नेताजी आ रहे है कुछ कहने – “इ सब चाल है” इसका झंडा छाप पार्टी से सबंध है .. अरे बाबा .. हम तो समझते बस जीवन बीमा वालें एजेन्ट होते है .. इ नया नया एजेन्ट बता रहे सब ! बोलने दीजये ना सर जी मजा आ रहा .. ऐसे चुनाव के बाद इ गर्मी में सब ठंडा गये थे ! सर जी एड ब्रेक चला देते च्स्माकार्ट.कॉम वालें मिस्ड कॉल दे रहे ! चला दो चला दो .. सर जी अब फेसबुक ट्विटर पर सब मजा लेने लगे है बंद करते इ वैदिक काल को .. ऐसे दिल्ली के लोग तू तराक नहीं .. बंद कर कोहली टाइप ट्वीटने लगेंगे !

सब उकता गये बजाओ रे गाना .. शम्मी कपूर का .. चाहे कोई मुझे जंगली कहे .. कहने दो जी कहता रहे .. याहू .. call me a beast if you will ;; call me whatever you will .. Yahoo !!

Just For Humor – Sujit

 

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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