तमस में होता द्वार कहीं…

path in dark life

path in dark lifeविरह वियोग संयोग है ;
कुछ ऐसा ये तो रोग है !

मृग मारिचका सा क्षण है ;
भ्रम टूटे बस ऐसा प्रयत्न है !

यतार्थ थे तो पास भी थे ;
कृत्रिम पर अधिकार नहीं !

मन चंचल निष्प्राण हो गए ;
जीते जी पाषाण हो गए !

आहट पर सुध नहीं होती ;
मन जैसे कोई जलती अंगीठी !

तमस में होता द्वार कहीं;
जीवन का श्रृंगार यही !

– Sujit

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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2 Comments on “तमस में होता द्वार कहीं…”

  1. सार्थक प्रस्तुति।

    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (25-01-2015) को “मुखर होती एक मूक वेदना” (चर्चा-1869) पर भी होगी।

    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

    बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ…
    सादर…!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

  2. मन चंचल निष्प्राण हो गए ;
    जीते जी पाषाण हो गए !

    आहट पर सुध नहीं होती ;
    मन जैसे कोई जलती अंगीठी !

    तमस में होता द्वार कहीं;
    जीवन का श्रृंगार यही !
    ​सुन्दर शब्द सुजीत जी

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