उस रास्ते पर वो रोज जा के बैठ जाता,
कितनी सुबह पता नहीं ..
थपेड़े उसके जिंदगी में ज्यादा होंगे,
हर मौसम उसे सर्द सा लगता है,
हवायें ना बदलती उसके लिये,
हर मौसम वो वही कंबल लपेटे बैठ जाता !
रहनुमा बनने की कोशिश मैं भी करता,
किसी काम से बचे कुछ सिक्के मैं भी,
उसके सामने डाल जाता,
उस रास्ते पर वो रोज जा के बैठ जाता !
वो आम रास्ता कितने लोग गुजरते है,
उसकी कटोरी में पड़े सिक्के से मैं इंसान गिन लेता !
#SK …..
nice
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