रात और चाँद …

Night Moon & You Hindi Poem

ये कैसी शरारत करते हो,
रात तारों के साथ ऊँघने छोड़ जाते हो,
तेरे जाने के बाद एक तारा,
पास आ बैठता,
कन्धों पर हाथ रख,
पूछता है तुम्हारी कहानी,
मैं उससे झूठ कहता की,
तुम एक दिन आने को कह गए हो,
उसकी हँसी चिढ़ाती है मुझे,
जैसे उसने बात न मानी हो मेरी !

किसी रोज आके दो घड़ी,
पास तो बैठो,
हाँ रात घनी हो बिना बादलों वाली,
उस तारे को दिखाना है मुझे,
जड़ना है उसके मुँह में ताला,
उसको पता चले जमीं पर चाँद होता है ।

ये कैसी शरारत करते हो;
रात तारों के साथ ऊँघने छोड़ जाते हो !

#सुजीत 

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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8 Comments on “रात और चाँद …”

  1. बहोत ही बढ़िया कविता खास कर
    “किसी रोज आके दो घड़ी,
    पास तो बैठो,
    हाँ रात घनी हो बिना बादलों वाली,
    उस तारे को दिखाना है मुझे,
    जड़ना है उसके मुँह में ताला,
    उसको पता चले जमीं पर चाँद होता है ।”
    ये पंक्तिया अच्छी लगी

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