रात और सुबह

morning and night poem

morning and night poemरात अकेली है रो लो,
गिरा लो आँसू कोरो से,
बस सुबह जब निकलों,
इस तरह की बनावट ले निकलना,
चेहरों पर ;
न शिकन ही रहे कोई
न बचे कोई निशां चेहरे पर
बीती रात के ग़मों की ;
क्योंकि ….
ये सुबह अकेला नहीं भीड़ है यहाँ,
और इस भीड़ के कंधे नहीं है ।

#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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