Midnight Solitude and Visored Faces

Initial Thought:  I want to Occupy Myself in Such Way.. No Any Outward Distraction can influence my inner thoughts..

Genre: Hindi Poem / Poetry

Writer: Occasional Poet

Inspiration:   Life, City, Old Memoirs

नकाबपोश रातों सी जिंदगी ..
ना संवरती ना बिखरती !

गम था, पर दिखना था संजीदा,
नकाबपोश जो भीड़ में खरे थे !

बिखेरी, थोरी सी एक बनाई हुई हँसी,
जैसे आंसू सूखे रेत के चेहरों में फँसी !

मुखोटे लगाये चेहरों ने घेरा मुझे,
ना राग कोई, ना द्वेष कोई …
ना घृणा हुई ना तृष्णा हुई …

पता नही क्या समझा मुझे ..
थमा गया तलवार कोई तो ढाल कोई !

समझा नही इस जीवन को मैंने,
पर जान गया मैं राज कई !

Midnight Solitude Poem

English Version of This Poem Coming Soon..

Sujit Kumar Lucky 

 

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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