Life in Lockdown – वक़्त अपनों के लिए !

आज जब सब कुछ थम गया है जैसे देखना भूल से गए हो आज कौन सा दिन है रविवार और सोमवार के मायने खत्म से हो गए है और हम लॉक डाउन के हालात से रूबरू है ; इस वैश्विक महामारी में जब वक़्त को एक जगह रोककर हम सब ठहर से गए तो ये ठहराव कुछ दिन रास आया लेकिन समय के साथ संशय भी बढ़ने लगा , ठहरे हुए जीवन में अलग अलग उम्र व अलग मनोदशा के लोग अपने आप को मानसिक तौर पर मजबूत नहीं रख पा रहे , मानसिक समस्या एवं तनाव की खबरें भी आ रही है ऐसे में ये जरुरी है कि इस ठहरे हुए समय में भी एक संयमित लेकिन अपने आप को सकरात्मक रखने की एक दिनचर्या बनाये रखे |

अनेकों कार्यकलाप है जो इस कठिन दौर से हमें उबार ले जायेंगे | इसी ठहराव में कुछ ख्याल बुजुर्गों , अपने माँ , पिताजी एवं उन तमाम लोगों के लिए जो हमसे पहले के वक़्त के होते हुए आज इस सदी से सामंजस्य बैठा के चल रहे या कोशिश कर रहे |

अभी फुरसत के विशाल क्षण में सोचिये तो क्या जिंदगी रही स्कूल , कॉलेज, दूसरे शहर में पढाई , फिर नौकरी , कुछ वीकेंड कुछ छुट्टियां और यूँ बीत सा गया दो या तीन दशक कभी वक़्त ही नहीं रहा होगा माँ , पिताजी को भी इस नए जमाने के फेसबुक और व्हाट्सप्प को बैठ कर चलाना सिखाया होगा , अक्सर फ़ोन पर कुछ इस तरह का संवाद होता होगा “किसी से पूछ लो आसान है बता देगा ” ऐसे खोल लो हो जायेगा , बस क्लिक करना है हो जाता है धीरे धीरे चलाते चलाते सिख जाओगे !

अक्सर आपको ऐसे बुजुर्ग मिल जाते होंगे आस पास जो मोबाइल में कभी यूट्यूब , फेसबुक, ईमेल, मैसेज , ऑनलाइन पेमेंट, सिम १ सिम २ , वीडियो कॉल , सेल्फी इत्यादि जैसे चीजें पूछते हुए मिल जायेंगे , कभी हम बता भी देते कभी झुंझला के दूर भी चले जाते | इस तरह की बातें हम सब के आस पास या हमारे साथ होती है हम अपने दिनचर्या में ऐसे ढल जाते कि खुद के लोगों को कुछ बता पाना सरल तरीके से वो हो ही नहीं पाता |

ये लॉक डाउन एक अवसर लेके आया है आइये सिखाये अपने बुजुर्गों को फेसबुक की सैर , सेल्फी और फोटो एडिटिंग कर चेहरे सुन्दर करने की कला , प्रोफाइल पिक्चर और कवर पिक्चर भी बदलना , वीडियो कॉल और ग्रुप कॉल , प्रोफाइल सर्च और दोस्तों को खोजना भी , नोट्स लिखना भी और मन की बात पोस्ट करना भी , हिंदी में लिखना भी , स्माइली और स्टीकर लगाना भी , वीडियो बनाना भी खाने की तस्वीर इंस्टाग्राम करना भी , फनी मेमे बनाना भी | पसंद की शायरी खोजना , प्लेलिस्ट बनाना , यूट्यूब पर पुराने संगीत को ढूँढना भी बहुत कुछ लैपटॉप ऑन से पासवर्ड याद रखने की कला , ऑनलाइन रिचार्ज और सावधानियां भी ……………… इस समय से कुछ समय दें उनको ! करके देखिये इस नए सोशल दुनिया में वो भी अपने बोरियत तनाव से निकल जायेंगे | उनके मन में छुपी इच्छाओं को लिखने की , सुनने की , फोटो की, दोस्तों से बात करने की इस नए माध्यम से जुड़ने की पूरा करें हम , ये वक़्त लौटे न लौटे फिर कुछ अपनों को अपना वक़्त दें !

दोस्तों पसंद आया तो शेयर करें ! ~ सुजीत

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →