जिंदगी और किताब – Night & Pen

Night & Pen by Sujit

ऐसे ही बात शुरू हुई जिंदगी और किताब की …

सब कुछ कहीं न कहीं सोचा गया होगा, या कोई किताब होगी जिन्दगी की किताब जिसमें लिखा होगा कौन किसके जिन्दगी में कितना अपना किरदार निभाएगा और कैसा किरदार !
ये वक़्त, बातें, सब के अपने पन्ने होते होगे ! पन्ने उलटते ही किसी का किरदार खत्म तो , किसी जिन्दगी के दुसरे पन्ने पर किसी दुसरे किरदार का अभिनय शुरू ! कभी कभी कुछ पन्ने लिखना चाहता हूँ दुबारा, कभी कभी किसी पन्ने की लिखावटों को मिटाना भी चाहता हूँ, जैसे वो कभी हिस्सा ही नहीं थे मेरी किताब का !

और ऐसे ही समय के थपेड़ों में जिन्दगी के किताब का हर पन्ना उलटते उलटते एक दिन अपने गंतव्य पर पँहुच के खत्म हो जाता !

इतना कहके मैं खामोश सा हो गया, जैसे बहुत कुछ कह चूका था अपनी जिन्दगी के कई किरदारों की कहानी … तुमने भी खामोश होक सुना और फिर पसरी ख़ामोशी को तुमने तोड़ते हुए कहा ….

सही ही कहा… और वो किताब सबके ही पास होती है अपनी अपनी किताब जिंदगी की; बस अंतर इतना है किसी बच्चों की तरह … कोई संभाल के सजा के रखता कोई मोड़ तोड़ के !
कोई रोज पढता और याद रखता कोई कभी कभी पढ़ता या कोई भूल भी जाता, कोई किसी पन्ने को कभी नहीं उलटता, छोड़ देता फिर कभी नहीं पढ़ता !

बस यही सब एक इंसान की किताब को दूसरे से अलग करता । बाकि देने वाले ने तो सबको एक सी ही दी है एक किताब कुछ पन्ने और आखिरी पन्ना !

रात और कलम के इस पन्ने में इतना ही !! – #SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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