अजब कशमकश में घेर लेती ये जिक्र तेरी,
हर कोशिश मेरी दूर जाने की कुछ काम ना आती !
#इश्क़
अलविदा से किसी और जहाँ में रह,
मैं फिर भी तेरी रोज खबर रखता हूँ ।
#इश्क़
खामोशी के मायूसी में उसे ढलते देखा,
आज किसी इंतजार में उसे जलते देखा ।
#इश्क़
थोड़ा कठोर दिल और थोड़े नरम दिल के बीच में जो हिस्सा है इश्क़ जरूर वहीं से होता है ।
#यूँही #इश्क़
तुम बेरुखी से कहते याद नहीं आती,
ये मेरी हिचकियाँ तुम्हें झूठा बनाती है ।
#इश्क़
मैं खामोशियों को ओढ़ के इत्मिनान में हूँ,
तुम सब कह के भी बेचैन से हो ।
#इश्क़
मैंने शब्दों के ढेर में कुछ बात रख दी,
बस तुम उस अंबार में इश्क़ ढूँढ लेना ।
#इश्क़