इश्क़ के कुछ रंग ऐसे भी ..
आओ रूठे से चेहरे को मनायें, इश्क़ है तो वो गिला भी करेगा । #इश्क़
इश्क़ आँखों से कैसे छलके,
पेशानी पर शिकन की दरारों में,
ये कहीं गुम सी हो जाती ! !
#इश्क़
मेरे सफर की उलझनों में तुम साथ हो,
मेरे कदम को अब क्या मुश्किलें रोकेंगी ।। #इश्क़
अलसायी सी शीत की सुबह का सुकून,
और तेरा इश्क़ दोनों एक से है ।
#इश्क़
तेरी उलझी लटों को सुलझाना, मसरूफ़ रहने के ये कुछ नए बहाने है । #इश्क़
हवायें जो आके तेरे झुल्फों को बिखेरती, अब हाथों से उन हवाओं का रस्ता रोकते है । #इश्क़
रोज तुझे नये नजरों से देखते,
रोज ही इश्क़ नया सा होता । #इश्क़
तेरे चेहरे पर इश्क़ का रंग यूँ निखर आया, ओस की धुंधली सुबह भी सिंदूरी हो गयी । #इश्क़