आजादी २.०

tv disease

ये कैसी आजादी की माँग है ; ये कौन लोग जो है समय समय पर भीड़ बनके आते है ; देश की आजादी का वर्तमान वर्शन जिसे पसंद नहीं ; मॉडिफाइड स्वराज और आजादी २.० की माँग कर रहे ! “अभिव्यक्ति की आज़ादी” को नई नई परिभाषा देने वाले लोग जो खुद इतना बोल जाते की इस देश में की सहिष्णु समाज भी असहनशील हो उठता !

nationalism india

जिन्हें देश के नाम से, देश के झंडे से नफरत है वो इस देश में अभिव्यक्ति के नाम पर देश के संविधान को धता बताते ; आज हुक्मरानों की ख़ामोशी कल एक बहुत बड़े शोर को बुला रही ! ऐसी पोषित मानसिकता पर मौन रखना बहुत बड़े तूफान को बुला रहा है !

जिस देश की मिटटी आपको जन्म देती, पालती पोसती अगर उसको माँ कहने में शर्म आती है तो आप कतई इस समाज के नहीं हो सकते ; जिस समाज की परिकल्पना आप कर रहे वो इस देश की पृष्टभूमि से अलग है ; कम से कम चंद उपद्रवियों को राष्ट्र के अभिमान को सियासी रूप में परिभाषित करने का अधिकार नहीं है !

राष्ट्द्रोह और राष्ट्रवाद के बीच कतई महीन रेखा नहीं है, एक स्पष्ट विभेद है ; हम जिस राष्ट्र में है उस पर हमें गर्व है, और जो इसका सम्मान नहीं करते वो राष्ट्रविरोधी है !

हमारा टीवी बीमार है या नहीं ये आप स्वंय सोचिये ;
मेरी नजर में मनुष्य एक संवेदनशील और विवेकशील प्राणी है,
कल्पना कीजये उस कृत्रिम दुनिया की …
राष्ट्र धर्म संस्कृति भाषा क्षेत्र जब सब आभासी ही मान लिया जाये,
तो फिर मनुष्य और एक रोबोट में क्या फर्क रह जायेगा ।
कृत्रिम विवेक वाला मानव जिसके लिए किसी भी चीज में फर्क करना महज एक प्रोग्राम सा होगा,
और उस प्रोग्राम का निर्धारण कौन करेगा ?
अगर राष्ट्रवाद का स्वरुप कोरा है एक मिथक है तो,
क्या जरुरत है हथियार, सीमा, और जवानों की,
हमारे कृत्रिम मष्तिस्क में कोई तनाव क्यों आएगा,
जब १००० किलोमीटर दूर देश के भूभाग पर कोई कब्जा कर ले,
क्यों हम उस चीज के लिए चीखेंगे जिस कश्मीर कन्याकुमारी को बस किताबों और कविताओं में पढ़ा,
जो हिमालय मुकुट है और सागर पैर पखारते ऐसी सारी कवितायें तो मिथक है,
वो कहानी जो बचपन में पढ़ी थी क्यों नहीं फाड़ दिया गया वो पन्ना,
जिसमें एक बच्चा खेत में बंदूके बोता है और कहता फसल की तरह,
अनेकों बंदूके पैदा होगी और देश के आजादी में काम आएगी !

अब टीवी बीमार है या हमारी मानसिकता ये स्वंय सोचिये !!

लेखक के निजी विचार ~ Sujit

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →

3 Comments on “आजादी २.०”

Comments are closed.