निर्वाचन कर्तव्य – 2019 (अनुभव नए सफर के)

आज जब लोकसभा चुनाव 2019 पर जनमत की सरकार अपने नए कार्यकाल की नींव रखने जा रही, कुछ अनुभव इस चुनाव के …
चुनाव ड्यूटी शब्द जैसे कार्यालय में सनसनी सी फैल जाती कहाँ दिया क्या बनाया कब बुलाया । उसके बाद कुछ लोग जो पूर्व में कई चुनाव करा चुके होते बताते आपको डराने वाले यात्रा वृतांत, इतने लंबे इतने घण्टे समस्या की लंबी लाइन बताकर आपके वजन को और बढ़ा देते की कदम ही न उठे ।

 

मेरी पहली पोल डयूटी – अनेकों किस्से सुन सुन के मन भारी हो रहा था ट्रेनिंग का दौर चला कुछ सीखा कुछ नहीं भी सीख पाया ! ट्रेनिंग के अंतिम चरण में अब नकारात्मक ऊर्जा पूरी तरह से शरीर मे भर चुकी थी की कैसे इतनी सारी चीजें नियत समय पर पूरी मुस्तैदी से हो सकेगी । पहली पोल ड्यूटी वो भी Presiding officer बूथ आपके हवाले और सबकुछ सम्पन्न कराने से लेके जमा करने तक कि जिम्मेदारी भी आपकी ।

 

ड्यूटी की शुरुवात – अनजान की तरह क्या लें कैसे पहुँचे सुबह पहुँचना । अन्य आपके संगी जो आस पास के केंद्रों पर ही नियुक्त होने वाले हो उनसे भी आस रखना व्यर्थ ही हो जाता कि वो साथ चल हिम्मत बढ़ाये । निकल पड़े पहले पड़ाव की तरफ । लोकल ट्रेन खचाखच भीड़, आस पास सब जगह आपको निर्वाचन कर्मी ही हर तरफ देख के थोड़ा हिम्मत वापस आता । तरह तरह के लोग दिखते कुछ बहुत उत्साही और आत्मविश्वाशी कहते फिरते “चुनाव तुनाव 5 लोकसभा करा चुके पहले बक्से से होता था अब ई तीन अटैची दे दिया” ।  कुछ के हाथ पाँव फुले हुए से ” सब से सवाल करते हुए ये vvpat का तार किसमें डालना है और बैलेट वाले का किसमें यही कंफ्यूजिया रहे है थोड़ा । बाँकी सब तो ठीक है कागज़ पत्तर फरिया जाएगा किसी तरह ।

 

रिपोर्टिंग सेंटर : दौड़े दौड़े पँहुचे हाँफते की पता नहीं क्या होगा कौन सा कागज़ कौन सा बूथ अपनी पार्टी मेंबर का कोई पता नहीं । भीड़ देख के मन घबरा गया लम्बी लाइन लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट । छोटे से पंडाल में 2000 लोग । गर्मी और भीड़ मन बेचैन करने के लिए काफी । काफी मसक्कत के बाद  कुछ जाने चेहरे दिखने शुरू हुए, कुछ मन हल्का हुआ कि कुछ लोग इस भीड़ में अपने भी है ।
माहौल मेले जैसा कुछ लोग लाइन में लग के फर्स्ट दिन फर्स्ट शो जैसा जोश दिखा रहे थे । कुछ थे फॉरएवर ट्रैवेलर बैग पन्नी लोटा गिलास कटोरा सत्तू चम्मच लुंगी गमछा ताश दतवन चाकू मच्छर कॉइल खैनी पान अगरबत्ती हनुमान चालीसा पता नहीं क्या क्या जैसे एवरेस्ट चढ़ाई पर निकले हो ।

 

बूथ की ओर : ये आप नहीं आपका भाग्य ही तय करता कि मैजिक, ऑटो, ट्रेक्टर किस वाहन से आगे की यात्रा तय होगी । कैसी भी राह हो कोई नदी हो खेत हो पगडंडी हो, यूँ ही चला चल राही, बड़ी हसीन है ये दुनिया कहते हुए आप अपनी पार्टी के साथ पहुँच जाते अपने बूथ । गाँव वाले ऐसे आपको देखते जैसे आप स्वदेश सिनेमा के शाहरुख़ खान नासा से आये हो एलियन पर रिसर्च करने ! पहुँच के देखते आप जुगाड़ पानी दरी बेंच कुर्सी लोटा मग बाल्टी आदि का ! गाँव के स्कूल ही अधिकांशतः पोलिंग बूथ बनाये जाते, सरकारी योजनाओं का इतना असर तो हो रहा स्कूल में शौचालय, पानी, बर्तन, दरी इत्यादि की व्यवस्था मिल जाती ! चुनाव के पूर्व बहुत सारी तैयारियाँ करनी पड़ती बूथ का निर्माण, सभी चीजों के रख रखाव मतदान का प्लान, चुनाव सामग्रियों का मिलान, चुनाव कर्मियों को अपना अपना काम समझाना ! रात हो गयी, झींगुर की गूंज गाँव में होने का अहसास दिला रही थी !

सभी कर्मियों ने साथ खाना खाया, न कोई जाति धर्म का विभेद असली सहिष्णुता और लोकतंत्र तो यहाँ थी ! नए जगह में सोने की कोशिश होने लगी, शरीर की थकन नींद को बुला रही थी ! कुछ कर्मियों ने खर्राटे वाले नींद खींचने शुरू कर दिए ! 

 

मतदान दिवस: अलार्म से पहले आँख खुल गयी, ब्रह्ममुहूर्त में नहा धो के तैयार हो गए लोकतंत्र के महापर्व में शरीक होने ! वोटिंग मशीन भी मिल गयी और सूरज के पहली किरण से हम जुट गए लोकतंत्र की सेवा में ! जितना सोचते आप उतना आसान नहीं है वोटिंग मशीन रखा और मतदान चालु, कई सारे वैधानिक पहलु और प्रक्रियाओं से होके गुजरता है पहला वोट गिरना बूथ पर ! तकनीकी खामियों के लिए आपको तैयार रहना पड़ता ! हर घंटे रिपोर्टिंग शांति बनाये रखना गाँव वालों से समन्वय के साथ ही आप पूरी करते मतदान प्रक्रिया |

 

सूरज ढलते ही हम सभी वैधानिक दस्तावेजों को पूर्ण कर निकल पड़े अपने अंतिम पड़ाव की ओर वोटिंग मशीन को सुरक्षित पहुँचाने ! किसी लोकसभा के सभी विधानसभाओं के सभी बूथ के अधिकारी आप समझ सकते भीड़ और माहौल ! शरीर और मन थक के चूर इस ३-४ दिन के अनवरत यात्रा से आखिर अर्ध रात्रि को हमने अपने सारे कर्तव्यों को पूर्ण कर निकल चले अपने गंतव्य की ओर !

 

निर्वाचन कर्तव्य ऐसा कार्य है जिसमें आप पार्टी राजनीति से उठ कर देश के संविधान और लोकतंत्र को पुनः स्थापित करते जो अपने आप में गौरवान्वित करता !

लोकतंत्र के महापर्व का समापन हो गया । जिस लोकतंत्र को तमाम तरहों से विघटित करने का प्रयास हुआ, आज लोकतंत्र ने खुद को स्थापित कर लिया । विपक्ष ने देश का भरोसा खोया है आप जनता को जनता की समस्या तक नहीं बता पाये ।

विपक्ष के उस नीति पर प्रहार हुआ है जब वो करोड़ो जनता की चुनी सरकार को एक परिवार को सौंप देते थे । पूरे देश का भविष्य एक परिवार के हाथ दशकों से सौंपने वाली पार्टी ने खुद अपने पार्टी में राजतंत्र को कायम रखा, और जनता को लोकतंत्र का झूठा पर्दा दिखाया जिसका अंत दो चुनावों में हुआ । पार्टी कार्यकर्ता बनिये खुद पार्टी नहीं । कांग्रेस ने बस बीजेपी को नहीं जिताया देश को मजबूत विपक्ष से वंचित कर दिया और जब विपक्ष न हो तो सत्ता का विरोध अपर्याप्त होता जो पुनः लोकतंत्र को कमजोर ही करेगी ।

पार्टी चेहरे नारे वादे के कुचक्र से निकल स्वस्थ राजनीति का हिस्सा बनिये । अच्छे कार्यों की सराहना और गलत कार्यों का प्रतिरोध कर देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करिये ।।

जय हिंद 💐 बधाई मोदी जी एवं बीजेपी को लोकसभा चुनाव में जीत की ।💐

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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