लोकतंत्र के जंगल – Random Thought

लोकतंत्र के जंगल मे शेर की खाल पहन भेड़ियों का शासन है… यहाँ हर तरफ अराजकता ही अराजकता है मजदूर, छात्र, किसान, नौकरीपेशा, उद्यमी सब 70 साल से मूर्खों की मंडली की ओर आस टिकाये कब तक इस राजनैतिक दासता में रहेंगें, सड़क के गड्ढे से ले बैंक का ब्याज, आपके बच्चे के पेपर से लेके नौकरी के कागज़ तक, प्याज से लेके जहाज तक सब जगह एक सड़ान्ध है ….सिस्टम सिस्टम अब यहीं सिस्टम खोखली हँसी से दांत निपोरती बदसूरत सी नजर आती ।

ये क्रांति का झंडा बस अवसरवादिता है जो अपने अपने सियार को रंगीन बनाने में कभी नीला पीला लाल हो ढीली मुट्ठी से गला फाड़ नारे निकाल सकती और कुछ नहीं ।

बदलाव की शुरुवात खुद से, मन से, कर्म से नहीं तो ये पागल दुनिया ये जंगल ये रंगे हुए सियार सब लूट लेगें कुछ नहीं बचेगा ।

#SK

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

View all posts by Sujit Kumar Lucky →