मेरे पास वजह नहीं कोई,
तुम बेवजह ही आ जाओ,
आके खोलो फिर पोटली,
यादों की पोटली मैं भी खोलूँ,
तुम रूठना निकालों उससे,
मैं मनाने की कोई तरकीब,
तुम उदासी का चेहरा निकालों,
मैं हँसी वाला कोई किस्सा ।
मेरे पास वजह नहीं कोई,
तुम बेवजह ही आ जाओ,
तुम जो छोड़ के गए थे ख़ामोशी,
आके इसे फिर से बोलना सीखा दो,
लगता भूल गया है ये कुछ भी कहना,
शायद तुमसे कुछ कह भी ले,
मुझसे मुँह फिरा के ही बैठा रहता ।
अब कोई वजह नहीं आने की,
तुम बेवजह ही आ जाओ !
बहोत ही प्यारी रचना ये रचना तो दिल को छु गई
शुक्रिया !!
wonderful poem
very nice
thanks
thankyou