शब्द कोरे हो चले है ..
शब्द कोरे हो चले है .. कुछ फासला बड़ा है .. कोई जो बढ़ चला है .. जो रात रहता था साथ मेरे .. अब वो भी सो चला है.. …
शब्द कोरे हो चले है .. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
शब्द कोरे हो चले है .. कुछ फासला बड़ा है .. कोई जो बढ़ चला है .. जो रात रहता था साथ मेरे .. अब वो भी सो चला है.. …
शब्द कोरे हो चले है .. Read Moreरोज का एक आम दिन …. अभी थोरा ही झुका था सूरज उस सामने पेड़ की झुरमुट में , भागे भागे ऐसे जैसे चार पर टिकी घड़ी, अब रुकेगी नही …
दीवार के उस पार खड़ा अपना बचपन ! ! Read Moreआज शाम का अलाव कुछ सुना सा था , न पहले के तरह घेर के उसे बैठा था कोई .. न ही कोई छिरी चर्चा उस अलाव के इर्द गिर्द, …
बाट जोहे सर्द में ठिठुरते है सूने चौपाल .. Read Moreदुरी चंद कदमो की, ये कैसा फासला था ! अनजान सिमट कर रह जाता हूँ , ये कैसा आसरा था ! खायालात ख़ामोशी का हाथ थामे चल रहे , कहाँ …
दुरी चंद कदमो की, ये कैसा फासला था ! – On Way of Life Read Moreयादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर , अब कोई खरखराहट भी नही है इनमे, शायद ओस की बूंदों ने उनकी आँखों को कुछ नम कर दिया हो …
यादों के पत्ते यूँ बिखरे परे है जमीं पर – Life fade as a Leaf Read Moreये रात शर्त लगाये बैठे है नजरे बोझिल करने की.. और हम ख्वाब सजाने की बगावत कर बैठे है … (वक्त के खिलाफ ये कैसी कोशिश ! ! ) यूँ …
उलझते सुलझते बातें जिंदगी के .. My LifeStream -2 Read More