तुम आना फिर ..

तुम आना फिर ..पहली दफा जैसे अजनबी के तरह,पूछना सकुचाते हुए नाम और शहर । कुछ दिन करना बातें अनमने ढंग से,सुबह शाम छोटे छोटे शब्दों में,खत्म करना रोज की …

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आओ मिलो सुबह से ….

आओ मिलो सुबह से कभीहल्की सी रोशनी अंधेरों के बीचऔर पंछियों की कलरव हो । ये सभी पेड़ पौधे आतुर से मिलेंगेपूरी रात अकेले गुमसुम से थे खड़े । थक …

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शोर ….

(वर्तमान परिदृश्य पर कुछ पंक्तियाँ …… ) कानों पर हाथ रख लेने से शोर खत्म नहीं होता, बस कुछ देर तक ही रोक पाते है, अपने आस पास के कोलाहल …

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फेरीवाले की आवाज .. लॉक – अनलॉक जिंदगी !

गली में आवाजें लगाता वो, माथे पर बड़ी सी टोकड़ी जैसे, सामानों का जखीरा उठा रखा हो । उसकी आवाज़ें कौतूहल से भरी, विवश करती खिड़की से झाँकने को, बच्चे …

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