मैं रहूं या ना रहूं भारत ये रहना चाहिए …

कौन नहीं रो पड़े ४० घरों के चिराग बुझ गए ; वो सैनिक जो हमारे लिए धुप ठण्ड बरसात में भारत के हर भूभाग पर रेगिस्तान, पहाड़, नदी , जंगल कहीं भी खड़े रहने को तैयार रहते ; हमारे लिए हम होली दिवाली मनाये ; हम सुकून से सोये वो सीमा पर खड़े रहते !

और कैसी क्रूर है नियति ; जिस माँ के लिए वो अभी भी बच्चे थे, जिस पिता को इंतजार था की उसकी अर्थी को कंधा उसका बेटा देगा ; वो पत्नी , वो बेटा , वो बेटी , वो बहन सभी रिश्तों पर भारी पड़ गयी नियति ! बारूद से सने क्षत – विक्षत शरीर को देखकर किसका कलेजा न दहले !

ये ऐसा अमानवीय कृत्य है आतंकियों का जिसे कोई भी देश बर्दाश्त नहीं कर सकता ; आतंक ने भारत देश को चुनौती दी है ; कब तक आतंक का विष घुलता रहेगा इस देश के रगों में, अब समाधान हो इस आतंक के जहर का !

वीर सपूतों के शहादत को नमन, आपके खून के हर कतरे का ऋणी रहेगा ये भारतवर्ष ! !

शहीदों की बस एक ही गूँज सुनाई पड़ रही ” सिलसिला ये बाद मेरे यूँ ही चलना चाहिए मैं रहूं या ना रहूं भारत ये रहना चाहिए ; रक्त की हर बूँद तेरी है तेरा अर्पण तुझे.. युद्ध ये सम्मान का है मान रहना चाहिए मैं रहूं या ना रहूं भारत ये रहना चाहिए !!

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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