अल्हड़ हवाओं के बहने से
उन्मत मन के होने से ही
यूं ही बसंत तो नहीं आयेगा
जब तुम संदूक से निकालना
सरसों के पीले फूल के रंग
सरीखी कोई खूबसूरत साड़ी
और पलाश टेशू के रंग जैसी
दोनों हाथों में दो दो चूड़ियां
तब आयेगा बसंत इस बार !
#InsanePoet
The Life Writer & Insane Poet
अल्हड़ हवाओं के बहने से
उन्मत मन के होने से ही
यूं ही बसंत तो नहीं आयेगा
जब तुम संदूक से निकालना
सरसों के पीले फूल के रंग
सरीखी कोई खूबसूरत साड़ी
और पलाश टेशू के रंग जैसी
दोनों हाथों में दो दो चूड़ियां
तब आयेगा बसंत इस बार !
#InsanePoet