गंतव्यविहीन … In Night & Pen

लंबी समांतर रेखा खींचता हुआ ये काफिला जिंदगी का बहुत दूर हो आया था;Autumn Mountain Foliage
ऐसे कितने दफा कोशिश की, साथ साथ चलती ये रेखाएँ काट के निकल जाये,

अपने गंतव्य की ओर, ये समांतर चलना निश्चित दूरियों को बनाएँ,
और नजदीकियों को भी ! बहुत कशमकश से शब्दों को बुनता हुआ;
लिपट जाता किस पशोपेश में फिर … क्योँ कैसा जिक्र ..

बस सवांद था संशय भरा, सीमाओं में सिमटा हुआ,
बनावटी चेहरों से इजाजत ना थी सब कह जाने की .. क्या अधूरा ही था ये संवाद..

{ शब्दों को जितना बिखेरा मन से …
सब मुझसे अपना मर्म पूछते है ! }

क्या जवाब दूँ अपने सब शब्दों का ..क्या मर्म था उनका ?
खुद वाकिफ हो हर राहों और मंजिलों से .. अपने उधेरबुन में वो कुछ उम्मीदों को तलाशता रहता..
यथावत अपने मन से लड़ता हुआ …. समांतर पथ पर अपने कदमों से दूर जाता हुआ !
गंतव्यविहीन ….. गंतव्यविहीन …!!!

□■ SK ■□

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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