रात और चाँद
रात के तमाम पहर में वो चाँद अकेला रहा, कोई सिरफिरा आता तो लैम्पपोस्ट पर चढ़ चाँद से दो बातें कर लेता । तमाम रात उसे कुछ बादलों ने घेरे …
रात और चाँद Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
रात के तमाम पहर में वो चाँद अकेला रहा, कोई सिरफिरा आता तो लैम्पपोस्ट पर चढ़ चाँद से दो बातें कर लेता । तमाम रात उसे कुछ बादलों ने घेरे …
रात और चाँद Read Moreहर रोज, सुबह की खिली धुप, और पंछीयों की चहचहाट, सी याद आओ तुम ! तुम्हारी बातें, खबर अख़बार की, हर सुबह हर पन्नों पर नजर आओ तुम ! चाय …
हर सुबह लौट आओ तुम … Read Moreतुम्हारा कहना और मेरा बस सुनते जाना जरुरी था मन के एक उबाल का शब्दों में समा जाना और फिर तर से गले से कुछ न कह पाना दोनों तरफ …
जरुरी था …. Read Moreपेड़ों की झुरमुटों में कैद दिन और इस दिन की गिरफ्त में जिंदगी कितनी तपिश है पत्तों पर आग सी आभा जो जलाने को आतुर कुम्हला के भी मुस्कुराती ये …
झुरमुटों में कैद दिन Read Moreइस शाम में कुछ उदासियाँ अब ढलते सूरज के साथ और चढ़ गयी बढ़ गयी है भींगे आँखों में नमी और अँधेरों में खो गयी सुलह के सब रास्ते बंद …
इस शाम में … Read Moreतुम अपने ताल्लुक के, अबूझ हिस्सों में मुझे कभी देखना, उस ओर भी एक दिलचस्प इंसान है, बिलकुल तुम्हारी उम्मीदों की तरह का ! उम्मीदों के पहाड़ सा ढक दिया …
अहसासों को कभी पूछना … Read More