उपेक्षा ….
स्नेह, उपेक्षा, मायूसी, विक्षोभ के इर्द-गिर्द घुमती एक कविता !!! उपेक्षा कल्पित चित्र था सुबह का , दो पंछी रोज आते थे , बरामदे पर आके चहलकदमी करते, तेरी आवाज …
उपेक्षा …. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
स्नेह, उपेक्षा, मायूसी, विक्षोभ के इर्द-गिर्द घुमती एक कविता !!! उपेक्षा कल्पित चित्र था सुबह का , दो पंछी रोज आते थे , बरामदे पर आके चहलकदमी करते, तेरी आवाज …
उपेक्षा …. Read Moreअब बहुत ही दूर चला गया । हाँ इस इंटरनेट के अनंत संसार से परे ; पता नहीं कितनी दूर हाँ जहाँ से कोई संवाद नहीं होगा , कोई खबर …
बहुत दूर चला …. इनबॉक्स लव -12 Read Moreत्यौहार में अपनों का आना, फिर उनका वापस लौट जाना ; अधिकांश राज्यों के लोग महानगरों में कार्यरत है, कुछ शब्द जो इस त्यौहार में उनके आने और वापस जाने …
लौट आये त्यौहार वाले .. Read Moreविचारों का जहाँ ठहराव हो जाता ; वहीँ से एक उदगम भी तो है एक नए विचार का ही ! कोई खामोश रहता है, जिक्र नहीं करता, शायद समझा नहीं …
अंतर्द्वंद – Night & Pen Read Moreकई मौसम इक इक करके बीते ; प्रवास के परिंदें इस बार नहीं लौटे ! सावन बीता शीत की रातें भी लौटी, लौटी बातें और सारी यादें भी लौटी, प्रवास …
प्रवास के परिंदें .. Read More