मंदिर की घण्टियाँ …..
बचपन में इस मंदिर में आके हाथों को ऊपर करके इसे छूने का प्रयत्न करते थे ; तभी पीछे से कोई आके गोद में उठा के हाथों को पहुँचा देता …
मंदिर की घण्टियाँ ….. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
बचपन में इस मंदिर में आके हाथों को ऊपर करके इसे छूने का प्रयत्न करते थे ; तभी पीछे से कोई आके गोद में उठा के हाथों को पहुँचा देता …
मंदिर की घण्टियाँ ….. Read MoreManual of The Warrior of Light I know Paulo Coelho as writer of “The Alchemist”; after reading this book I really became fond of Paulo Coelho writing and their inspirational …
Book Review – Manual of The Warrior of Light Read Moreअब पूरी तरह नहीं ढाला जा सकता शक्ल में ; मन के किसी कोने में अब किसी तस्वीर का धुंधला सा प्रतिविम्ब है जिसने उँगलियों को जैसे बरबस पकड़ के …
एक चित्र से वार्तालाप … Read Moreनिर्वात पथ पर अब संवाद नहीं ; व्यर्थ वक़्त का तिरस्कार नहीं ! शून्य सफर पर अब श्रृंगार ही क्या ? विचलित पथ का उपहास ही क्या ? मौन पड़े …
निर्वात पथ पर …. Read Moreकार्यस्थल भी एक परिवार है ! हम अपने जिंदगी में कितना वक़्त कार्यस्थल पर व्यतीत करते ; मेट्रो शहर में एक ही तो धुन होती सुबह उठ के कार्यस्थल की …
A Thank You Note !! Read More