कई अधूरी कवितायेँ है ….

कई अधूरी कवितायेँ है पड़ी, कुछ की लिखावटें धुल गयी, कुछ की स्याही फीकी हो गयी ! कुछ शब्दें थी जो हर सुबह आस पास लिपट जाती थी जैसे वो …

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