बंदिशें – An Urban Ode
अनजान अकेली सी है ये राहें सदियों से,करवट भी नही ले सकती ऐसी बंदिशें ! ये बड़ी ऊँची ऊँची गगनचुम्बी महलें,लगता सूखा लंबा बरगद खड़ा हो ! बेरंग सुख गयी …
बंदिशें – An Urban Ode Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
अनजान अकेली सी है ये राहें सदियों से,करवट भी नही ले सकती ऐसी बंदिशें ! ये बड़ी ऊँची ऊँची गगनचुम्बी महलें,लगता सूखा लंबा बरगद खड़ा हो ! बेरंग सुख गयी …
बंदिशें – An Urban Ode Read Moreहै रात मुफलिसी की,ताक पर लगा नींदों को,और लगा चैन के हर कोने,चाहत सुबहों पर लगाना ! क्या गुनाह है .. ? माना नसीबों पर नहीं इख्तियार,और उम्मीदों के कितने …
क्या गुनाह है .. ? Read Moreएक पंछी उड़ता हुआ खुले आसमां में,क्या सपने उसके क्या मन में उसके,सहसा इच्छाओं का इर्धन खत्म सा हो गया ! बिना उर्जा के सीधा गिरता कटीले पथरीले झारियों में,बिखर …
एक उड़ान – Dead Dream in Sky Read Moreकुछ ठहर गये थे तुम,कुछ कहते कहते रुक गये ! तुमने शायद रिश्ता पुराना सा,कुछ ऐसा बोला था धीमे से ! बस हम उम्मीद में है,बात कब पूरी होगी वो …
एक रोज तुम .. Untouched Thoughts Read More