पत्थर का बुत !
एक बार — ! यूँ किसी हमराह का असर है..! ये पत्थर का बुत भी करवटें बदलता है ! पर .. हमे डर है पत्थर का बुत कहीं इंसान ना …
पत्थर का बुत ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
एक बार — ! यूँ किसी हमराह का असर है..! ये पत्थर का बुत भी करवटें बदलता है ! पर .. हमे डर है पत्थर का बुत कहीं इंसान ना …
पत्थर का बुत ! Read Moreइन राहों से कितने बिछड़े,जहाँ हर सुबह महफ़िल बनती थी, पूछते थे खबर हर यारों की, तेरे रंग मेरे रंग बादलों सी सजती,मन सपने बुनती संवरती..और फिर धुँधली सी परती …
थे साथ कभी – All Together ?? Read Moreदो झूले और बच्चे कतार में, फीकी हरयाली इस छोटे से बाग में ! पेड़ छोटे, इस शहर की रंगचाल में,दायरा आसमां ने भी समेटा,लंबी लैम्पपोस्टो की आढ़ में ! …
एक साँझ की हलचल – An Evening Swirl Read More