मेरी बात .. अब तेरी बात – Participation in Facebook Virtual Poetry Meet

मेरी बात ..अब तेरी बात .. मेरा दर्द .. अब तेरा दर्द .. कुछ चंद लम्हों के लिए ही सही , ऐसी कुछ बिछी बिसात थी ! ~ दिन काली …

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आज देखा हमने तिरंगे का बस दो रंग अपने चेहरे पर ! !

क्यों संसद खामोश और ट्विट्टर चिल्ला रहा , क्या बदनसीबी थी हमारी, हमारा ही रोकेट, हमारे ही घर को जला गया कहीं ! 100 मेडल्स जीते हमने इस बार पर, …

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दीवार के उस पार खड़ा अपना बचपन ! !

रोज का एक आम दिन …. अभी थोरा ही झुका था सूरज उस सामने पेड़ की झुरमुट में , भागे भागे ऐसे जैसे चार पर टिकी घड़ी, अब रुकेगी नही …

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