अपना बचपना गया नही ..
यूँ बार बार तकते कुछ उस ओर,कहीं कुछ आहटो पर भाग के जाते.. जैसे फिर घंटो नजरो लगाये उस सुनसान राहों पर ,जैसे कोई कह गया हो, वापस आने को …
अपना बचपना गया नही .. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
यूँ बार बार तकते कुछ उस ओर,कहीं कुछ आहटो पर भाग के जाते.. जैसे फिर घंटो नजरो लगाये उस सुनसान राहों पर ,जैसे कोई कह गया हो, वापस आने को …
अपना बचपना गया नही .. Read Moreमेरी बात ..अब तेरी बात .. मेरा दर्द .. अब तेरा दर्द .. कुछ चंद लम्हों के लिए ही सही , ऐसी कुछ बिछी बिसात थी ! ~ दिन काली …
मेरी बात .. अब तेरी बात – Participation in Facebook Virtual Poetry Meet Read Moreक्यों संसद खामोश और ट्विट्टर चिल्ला रहा , क्या बदनसीबी थी हमारी, हमारा ही रोकेट, हमारे ही घर को जला गया कहीं ! 100 मेडल्स जीते हमने इस बार पर, …
आज देखा हमने तिरंगे का बस दो रंग अपने चेहरे पर ! ! Read Moreशब्द कोरे हो चले है .. कुछ फासला बड़ा है .. कोई जो बढ़ चला है .. जो रात रहता था साथ मेरे .. अब वो भी सो चला है.. …
शब्द कोरे हो चले है .. Read Moreरोज का एक आम दिन …. अभी थोरा ही झुका था सूरज उस सामने पेड़ की झुरमुट में , भागे भागे ऐसे जैसे चार पर टिकी घड़ी, अब रुकेगी नही …
दीवार के उस पार खड़ा अपना बचपन ! ! Read More