इक रात की बात !
अब नींद झपकियों से परे हो रहा था, आँखों में आकुलता सी छा रही थी, बोरी सी भर के जिंदगी को ले चली, फरॉटा गाड़ी सांय सांय करते हुए ! …
इक रात की बात ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
अब नींद झपकियों से परे हो रहा था, आँखों में आकुलता सी छा रही थी, बोरी सी भर के जिंदगी को ले चली, फरॉटा गाड़ी सांय सांय करते हुए ! …
इक रात की बात ! Read Moreआज की सुबह को ये गुमां था , कोई उसे भी देख मुस्कुराता नजरे झुकाए ! चुप सा रह जाता ..ये सोच ये तो अल्हर फिजाए है जो भर देता …
सुबह को ये गुमां था Read Moreसीढियों पर पड़े अखबार बंधे से, रोज वही मुरझा जाते परे परे, शिकायत भरी नजर रहती, क्यों ना लाके बिखेर देते सिरहाने, हवायें जो पलट पलट दे उनके पन्ने, खोल …
यूँ अखबार बंधे से परे रहते ! Read Moreकुछ अधूरी सी लगती है बात,देखता हूँ रात में लिपटी,चाँद की उस सूरत को,जो आज अधूरा ही आया था… सन्नाटे छूती जाती चुपके से,बावरे से बयार उठते है,और छु जाते …
चौथे पहर की अधूरी बातें Read More